संविधान निर्माण-भाग 1
संविधान सभा की मांग-:
1.1924 ई.में सर्वप्रथम स्वराज पार्टी ने संविधान सभा की रचना हेतु विचार दी।
2.1934 ई. में पहली बार एम.एन.राय ने संविधान सभा के गठन का विचार रखा। राय वामपंथी आंदोलन के प्रखर नेता थे।
3. 1935 ई. में भा.रा. कांग्रेस ने पहली बार संविधान सभा के गठन की मांग की।
4. 1938 ई. में पंडित नेहरू ने भा.रा.कांग्रेस की तरफ से यह घोषणा किये कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गयी संविधान सभा द्वारा किया जायेगा और इनमें कोई बहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।
5. नेहरू की इस मांग कों ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया। इसे सन 1940 के अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है।
6. सन 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टैफोर्ड क्रिप्स ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य, एक स्वतंत्र संविधान के लिये ब्रिटिश सरकार के एक प्रारूप प्रस्ताव के साथ भारत आये।
संविधान सभा का गठन-:
कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवम्बर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ।
योजना की निम्न विशेषताएँ थी --
1.संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 निश्चित की गयी थी । इनमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत और 93 सीटें देशी रियासतों कों आवंटित की गयी थी।
2. ब्रिटिश भारत कों आवंटित की गयी 296 सीटों में 292 सदस्यों का चयन 11 गवर्नरो के प्रांतों और चार मुख्य आयुक्तों के प्रांतों से किया जाना था।
3. हर प्रांत व देशी रियासतों कों उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आवंटित की जानी थी। संक्षेप में कहे तो प्रत्येक दस लाख लोगों पर एक सीट आवंटित किया जाना था।
4. प्रत्येक ब्रिटिश प्रांत कों आवंटित की गयी सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदायों के बीच उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाना था। ये तीन समुदाय थे-मुस्लिम, सिख व सामान्य (मुस्लिम, सिख कों छोड़कर)
5. प्रत्येक समुदायों के प्रतिनिधियों का चुनाव प्रांतीय असेम्बली में उस समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाना था। मतदान एकल संक्रमनिय मत के माध्यम से समानुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से किया जाना था।
6. देशी रियासतों के प्रतिनिधियों का चयन रियासतों के प्रमुखों द्वारा किया जाना था।
:- संविधान सभा के लिये चुनाव जुलाई-अगस्त 1946 में हुआ। कुल 389 सदस्यों में सें प्रांतों के लिये निर्धारित 296 सदस्यों के लिये चुनाव हुआ ।
:- इस चुनाव में भा.रा.कांग्रेस कों 208, मुस्लिम लीग कों 73 तथा अन्य दलों कों 15 सीटें मिली।
:- संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया -213 सामान्य, 79 मुस्लिम तथा 4 सिख।
:- संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी।
:- संविधान सभा में महिलाओं की संख्या 15 थी।
संविधान सभा की कार्यप्रणाली
-: संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 कों हुई।
-: सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष चुने गये। 11 दिसम्बर, 1946 कों राजेंद्र प्रसाद कों संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
-: संविधान सभा के दो उपाध्यक्ष थे- डॉ.एच.सी.मुखर्जी तथा वी.टी.कृष्णामचारी
-: मुस्लिम लीग ने बैठक काज बहिष्कार किया और अलग पकिस्तान की मांग की। इसलिए बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
उद्देश प्रस्ताव -:
13 दिसम्बर, 1946 कों पंडित नेहरू ने सभा में एतिहासिक उद्देश प्रस्ताव पेश किया। इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे एवं दर्शन की झलक थी।
इस प्रस्ताव कों 22 जनवरी, 1947 कों सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इसने संविधान कों काफी हद तक प्रभावित किया है। इसके प्रतिरूप से संविधान की प्रस्तावना बनी।
स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा परिवर्तन -:
-:- 28 अप्रैल 1947 कों छः राज्यों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य बन चुके थे।
-:- 3 जून, 1947 कों माउंटबेटन योजना कों स्वीकारा करने के बाद अन्य देशी रियासतों के ज्यादातर प्रतिनिधियों ने अपनी सीटों कों ग्रहण कर लिया।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 ने सभा में निम्न तीन परिवर्तन किये --
1.सभा कों पूरी तरह संप्रभु निकाय बनाया गया जो स्वेच्छा से कोई भी संविधान बना सकती थी। इस अधिनियम ने ब्रिटिश संसद के द्वारा भारत के संबंध में बनाये गये कानूनों कों बदलने तथा समाप्त करने की अधिकार दे दिया।
2- संविधान सभा एक विधायिका बन गई। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो सभा कों दो अलग अलग कम सौंपे गये। इनमें से एक था स्वतंत्र भारत के लिये संविधान बनाना और दूसरा था देश के लिये आम कानून लागू करना। इस प्रकार संविधान सभा भारत की पहली संसद बनी।
इसकी अध्यक्षता डॉ.राजेंद्र प्रसाद करते थे और जब बैठक बतौर विधायिका होगा तब इसकी अध्यक्षता जी.वी.मावलंकर करते थे। सभा 26 नवम्बर, 1949 तक इन दोनों रूपों में चलती रही।
3- मुस्लिम लीग के सदस्य भारतीय संविधान सभा से अलग हो गये। इसकी वजह से तय की गयी 389 सीटों के बजाय 299 आ गिरी। भारतीय प्रांतों कों 229 और देशी रियासतों कों 70 सीटें निर्धारित की गयी।
-:- 3 जून, 1947 ई. की योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 नियत की गयी। जिसमें 235 सीटें प्रांतों के लिये और 89 सीटें देशी राज्यों के लिये।
सभा के अन्य कार्य
1- इसने मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया ।
2- इसने 22 जुलाई, 1947 कों राष्ट्रीय ध्वज कों अपनाया।
3- इसने 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय गान तथा राष्ट्रीय गीत को अपनाया।
4- 24 जनवरी, 1950 को डॉ.राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
-:- 2 साल 11 माह और 18 दिनों में संविधान सभा कि कुल 11 बैठके हुई। संविधान की निर्माण में कुल 64 लाख रुपए खर्च हुए। संबिधान निर्माताओ ने लगभग 60 देशों के संविधान का अवलोकन किया तथा इसके प्रारूप पर 114 दिन तक विचार हुआ ।
-:- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा का अंतिम बैठक हुई 26 जनवरी 1950 से 1951-52 तक सभा ने अंतरिम संसद के रुप में कार्य किया।
संविधान सभा की समितियाँ
बड़ी समितियाँ
1.संघ शक्ति समिति ]
2.संघीय संविधान समिति ]--- पं.जवाहरलाल
3.राज्यो के लिए समिति ]
4.प्रक्रिया नियम समिति ]
5.संचालन समिति ] राजेन्द्र प्रसाद
6.प्रांतीय संविधान समिति |
7.मौलिक अधिकारों , |
अल्पसंख्यको एवं |----सरदार पटेल
जनजातियों तथा बहिस्कृत|
क्षेत्रो के लिए सलाहकार। |
8.प्रारूप समिति--डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
छोटी समितियाँ
1.वित्त एवं कर्मचारी समिति ]
2.राष्ट्रध्वज सम्बन्धी तदर्थ समिति 】डॉ.प्रसाद
3.प्रत्यायक समिति --अलादि कृष्णास्वामी
4.सदन समिति ]
5.मुख्य आयुक्तों के 】बी.पट्टाभिसीतारमैया
प्रान्तों के लिये समिति। ]
6.कार्य संचालन समिति ---- डॉ. के.एम मुंशी
7.संविधान सभा के कार्यो के लिए समिति ---जी.वी.मावलंकर
8.प्रारूप संविधान के जांच के लिए विशेष समिति ---पं. नेहरू
9.प्रेस दीर्घा समिति ---उषा नाथ सेन
(संविधान सभा के सदस्य नही थे )
10.सर्वोच्च न्यायालय के लिए तदर्थ समिति ]
11.नागरिकता पद तदर्थ समिति 】एस. वरदाचारी
12.संघीय संविधान के वित्तीय प्रावधानो संबंधी समिति -----नलिनी रंजन सरकार
13.भाषाई प्रान्त आयोग ---एस. के.डार
प्रारूप समिति
इसका गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था। संविधान का पहला प्रारूप फरवरी 1948 में प्रकाशित हुआ था।भारत के लोगों को इस पर चर्चा करने को तथा संशोधन का प्रस्ताव देने के लिए 8 माह का समय दिया गया।लोगों की शिकायतों तथा आलोचनाओं के कारण दूसरा प्रारूप तैयार किया गया जो अक्टूबर 1948 में प्रकाशित किया गया।
प्रारूप समिति में अपना प्रारूप तैयार करने में 6 माह से भी कम समय लिया।इस दौरान उसकी कुल 141 बैठके हुई।
संविधान का प्रभाव में आना
अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया।इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया।सभा में इस पर 5 दिन (9नवम्बर,1948) तक आम चर्चा हुई।
संविधान पर दूसरी बार 15 नवंबर 1948 से विचार होना शुरू हुआ।यह कार्य 17 अक्टूबर तक चला।तीसरी बार 14 नवंबर 1949 से विचार होना शुरू हुआ।डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने "द फास्ट सेटेलाइट एसेंबली प्रस्ताव पेश किया।इस प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पारित घोषित कर दिया गया। इस पर अध्यक्ष तथा सदस्यों के हस्ताक्षर लिया गया कुल 299 सदस्यों में से उस दिन 284 उपस्थिति थे।
26 नवंबर 1949 का उल्लेख संविधान की प्रस्तावना में उस दिन के रूप में किया गया है जिस दिन भारत के लोगों ने सविधान के रूप में अपनाया,लागू किया तथा स्वयं को समर्पित किया।
-:- 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया संविधान में प्रस्तावना,395 अनुच्छेद,8 अनुसूचियां तथा 22 भाग थी।
-:- अंबेडकर को "भारत के संविधान का पिता" तथा "आधुनिक मनु" की संज्ञा दी जाती है।
संविधान का प्रवर्तन
संविधान के कुल अनुच्छेदो में से 15 अर्थात 5,6,7,8,9,60,324,366,379,380,388,391,392 तथा 393 अनुच्छेदो को 26 नवम्बर,1949 को ही प्रवर्तित कार दिया तथा शेष अनुच्छेदो को 26 जनवरी 1950 ई. को लागू किया गया।
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